Friday, January 22, 2010

बंद किताब ज़िन्दगी

बंद किताब ज़िन्दगी
देखो तुमने फिर खोल दी

गुलाबों की सूखी पंखुडियां
रखकर तुमने फिर छोड़ दी

उड़ते हैं पन्ने हवा से
अरमानों की खिड़की लगता है तुमने फिर खोल दी

गम ही गम थे दफ़न यहाँ तो
जाने कौनसी ख़ुशी साथ तुमने ढो ली

कहा था यादों का समुन्दर है
देखो साडी अपनी देखो तुमने फिर भिगोली

1 comment:

payal.k said...

कहा था यादों का समुन्दर है
साडी अपनी देखो तुमने फिर भिगोली

I really like these lines!