बंद किताब ज़िन्दगी
बंद किताब ज़िन्दगी
देखो तुमने फिर खोल दी
गुलाबों की सूखी पंखुडियां
रखकर तुमने फिर छोड़ दी
उड़ते हैं पन्ने हवा से
अरमानों की खिड़की लगता है तुमने फिर खोल दी
गम ही गम थे दफ़न यहाँ तो
जाने कौनसी ख़ुशी साथ तुमने ढो ली
कहा था यादों का समुन्दर है
देखो साडी अपनी देखो तुमने फिर भिगोली
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कहा था यादों का समुन्दर है
साडी अपनी देखो तुमने फिर भिगोली
I really like these lines!
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