Sunday, September 27, 2009


लाशें

लाशें
सब लाशें हैं
जिंदा कोई नही
सब लाशें हैं

चलती हैं
बोलती हैं
हस्ती कभी
कभी फूंट फूंट के रोटी हैं
लाशें
सब लाशें हैं

गिरता है तोह कोई उठता नही
मरने पर मातम में भी कोई आता नही
जीते साथ हैं
मगर हैं कितने अकेले
लाशें
सब लाशें हैं


धड़कनें मशीन है
जस्बात मशीन है
इनकी सीरत भी इन्ही जैसी
बस शक्लें हसीन है
लाशें
सब लाशें हैं

इक पल का ख्वाब है
जो जाता नही
कितना भी बुलाओ
वोह कल आता नही
जिंदा रहने की होड़ में रोज़ मरते
लाशें
सब लाशें हैं

जिंदा कोई नही
सब लाशें हैं...

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