तेरे लिए बी गुलज़ार
तेरे लिए तेरे लिए, तेरे लिए तेरे लिए
लफ़्ज़ों में, लम्हों की, डोलियाँ, लाये हैं
लफ़्ज़ों में, लम्हों की, डोलियाँ, लाये हैं, लाये हैं
शेरोन में, खुशबू की, बोलियाँ, लाये हैं, लाये हैं
हमने सौ सौदे किये
तेरे लिए तेरे लिए, तेरे लिए तेरे लिए
आँखों में न चुभे, तारों की किरचियाँ
शीशे का आसमा लाये हैं, तेरे लिए तेरे लिए
तारे जड़े, हीरों से भी कितने बडे
हमने आसमानो में, लाखों के सौदे किये
तेरे लिए तेरे लिए, तेरे लिए तेरे लिए
हलकी सी सर्दियाँ और सांस गरम हो
शामों की शवल भी, थोड़ी सी, नर्म हो
तेरे लिए किशमिश चुने, पिसते चुने, तेरे लिए
हमने तोह परिन्दों से, बागों के सौदे किये
तेरे लिए तेरे लिए, तेरे लिए तेरे लिए, तेरे लिए तेरे लिए
Friday, January 28, 2011
Tuesday, January 04, 2011
Poetry of my life
As I write the poetry of my life
I know there is only little I can say
For much of it is hidden
And forgotten along the way
Like a treasure
That you seek
Realizing a bit late
That what you were searching for
You were always carrying along the way
Happiness discovered
In unfound ways
Or affection with sorrow
That quits giving pain
Melody is old
But each time life hums
World listens with astonishment
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