Thursday, July 15, 2010


एक बात

दूर तलक जाती तोह है
मगर सुनाई नहीं देती
मेरी आवाज़ है तोह बुलंद
बस असर नहीं करती...

राहों के कांटे अब
जूतों की खाल बन चुके हैं
तेज़ रफ़्तार तोह है मेरे पास
बस कहीं ले नहीं जाती...

आँखें मूँद लेता हूँ
कभी किस्मत पे हस लेता हूँ
दिल तोह बेहेल जाता है इन तरकीबों से
बस नींद नहीं आती...

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