Monday, December 08, 2008

आसमा में उद्द रहा है
तू उच्चाई से डर रहा है
तू एक पंछी है
तू ख़ुद से डर रहा है

ये जहाँ तेरा
आज का ये समां तेरा
ख़ुद पर यकीन कर, एक सिर्फ़ तू नही
उलझन में है, फरिश्तों का भी डेरा

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