Monday, November 24, 2008

दूर कहीं

गूम हो जाने दो मुझे
दूर कहीं...दूर कहीं...

इन सबसे दूर
मनो जैसे भटका गया हो भूल
दूर कहीं...दूर कहीं...

अब आरजू है यही
मैं और आसमा
न हो उम्मीदें और न हो ख्वाब कोई
मैं ही...मैं ही...

दूर कहीं...दूर कहीं...

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